फोन कॉल | एक अनोखे प्यार की दास्तान | पार्ट 07 (अंतिम कड़ी)
सनम घर मे दाखिल हुई और सीधे कमरे मे चली गयी. उसका दिल बेचैन हो रहा था. उसको अपने किए पर अफ़सोस था. उसने सोचा बिना दूसरे इंसान का नजरिया जाने ही उसने आबान को गलत मान लिया और इतना बड़ा गुन्नाह कर डाला। इसमे दोनो ही अपनी जगह सही थे.
वह बस यही सोच रही थी की उसने आबान के साथ ग़लत किया. वह बिना खाना खाये लेट गयी. नींद कोसों दूर थी आँखों से. उसका दिल किया की आबान को कॉल करे या मैसेज करे. पर उसकी हिम्मत नहीं हुई. कई बार उसने कॉल के लिए फ़ोन उठाया, नंबर मिलाने की हिम्मत नहीं हुई. इन्ही सब कश्मकश मैं वह करवटें बदलती रही. और फिर न जाने रात के किस पहर उसको नींद ने आके घेरा।
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सुबह उसका दिन काफी देर से शुरू हुवा। उठते ही कल के पुरे दिन का वाक़्या उसकी आँखों के सामने से गुज़र गया. वह फिर कशमकश से घिर गयी. फिर उसने सोचा अभी थोड़ा वक़्त तो देना चाहिए। अभी उसका मूड खराब होगा। है भी तो हिटलर के नान से मशहूर कॉलेज सर्किल में जनाब। उसने सोचा एक दो दिन बाद आबान को कॉल करुँगी और ज़िद करुँगी माफ़ करने को और अगर नहीं माना तो घर पहुंच जाऊँगी। माना की मैंने गलती की है, पर मान भी तो रही हूँ, मना लुंगी मैं आबान को। यह सब सोचने से उसका मूड हल्का हो गया. उसने अपने आपको अपने काम में मसरूफ कर लिया।
तीन दिन बीत गए. आबान का कोई कॉल नहीं आया। सनम ने भी अपने दिल को मार के कॉल नहीं की. वह सब्र से काम ले रही थी. यह सोच रही थी शायद आबान का गुस्सा उतरे और वह कॉल करे। हर फ़ोन कॉल पे सनम को सिर्फ आबान का ही इंतज़ार होता था। पर कॉल नहीं आयी.
जब चार दिन बीत गए तो सब्र का बांध टूट गया। उसने आबान को कॉल करी. पर रिप्लाइ नहीं मिला. कई बार कॉल की पर रिंग बजती रही पर किसी ने जवाब नहीं दिया। उसने सोचा शायद वह उसकी कॉल को बाद में रिप्लाई करे, लेकिन आबान का कॉल नहीं आया. सनम परेशान हो गयी.
सनम ने शाम को फिर कॉल की पर अब कॉल करने पर फोन स्विच ऑफ आने लगा. सनम परेशान होने लगी थी। उसको अजीब से ख्याल आने लगे थे. उसने आख़िर में फ़ैसला लिया की वो अब उससे मिलने जयगी. सनम तैयार हुई और आबान के घर जा पहुंसी. दरवाज़ा एक नौकर ने खोला.
सनम – मुझे आबान से मिलना है. घर पर कोई और है क्या. उनकी अम्मी या पापा ?
नौकर – जी घर पर इस वक़्त कोई नहीं है. सब हॉस्पिटल मे हैं. आबान बाबा की तबीयत बिगड़ गयी थी चार दिन पहले.
सनम का दिल धक् से हो गया। वह घबरा गयी पर अपने को सँभालते हुवे बोली – क्या आप मुझे बता सकते है की वो कहाँ एडमिट हैं.
नौकर बोला – सिटी हॉस्पिटल में एडमिट हैं वह.
सिटी हॉस्पिटल का एड्रेस ले कर सनम जल्दी से हॉस्पिटल पहुँची. रिसेप्षन पर आबान के रूम का पता कर के वो भागती हुई उसके रूम के पास पहुंची। बाहर आबान की अम्मी खड़ी थी। सनम को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह क्या करे या क्या न करे. उसकी बदहवासी देख आबान की अम्मी उससे खुद मुख़ातिब हुई और बोली बेटा आप ठीक तो हो किसको ढूंढ रही हो ?
सनम – आंटी मैं अपने एक दोस्त आबान को धुंध रही हूँ. रूम तो यहीं बताया था. उसकी तबियत खराब है.
अम्मी बोली – बेटे मैं आबान की अम्मी हूँ. पर उसने कभी आपका ज़िक्र नहीं किया। खैर आबान जो अपने आखरी दीनो मैं फिर से हँसने लगा था, शायद उसकी वजह आप हैं. हम आपका यह अहसान कभी नहीं भूलेंगे। कहते हुवे उनका गला भर गया.
सनम – यह आप कैसी बात कर रही हैं. आंटी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. आबान ठीक तो है ना! प्लीज मुझे उससे मिलना है। सनम को कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है. अम्मी क्यों ऐसी बात कर रही हैं।
अम्मी सनम को रूम मैं ले आई. अंदर का मंज़र बड़ा खराब था. आबान चारो तरफ से लाइफ सेवर डेविसेस से घिरा था और आँखें बंद थी उसकी। सनम शॉक्ड थी की यह हो क्या रहा है. वो आगे बढ़ी और आबान के पास बैठ गयी. सनम की आंखों मैं आँसूं बढ़ने लगे और वह रोने लगी। मोहब्बत में एक ताक़त होती है. उसके टपकते आंसूं जब आबान के हाथों पे पड़े तो उसने आँखे खोली और उसने सनम के रोते देखा तो मुस्कुराते हुवे बोला.
आबान – आपका चेरा इन आसुओं के लिए नहीं बना. चुड़ैल आंटी, चुप हो जाइए आप. आप की कोई ग़लती नहीं है. यह मेरी किस्मत मैं लिखा है.
सनम रोती रही और बोली – यह तुमको क्या हो गया. क्या यह सब मेरी वजह से हुवा है. प्ल्ज़ मुझे बताओ।
सनम रोने लगी. उसकी आँखें भीग गयी. मोहब्बत एक अनोकी चीज़ होती है. आबान होश मैं आने लगा.
आबान – इसमें किसी की गलती नहीं है और जो कुछ उस शाम हुवा वह बस हालात थे। किसी की कोई गलती नहीं थीं।
सनम – नहीं मैं नहीं मानती। मैंने गलत किया। जो भी किया।
आबान – रहने दीजिये सनम, मेरे दिल में अब कोई गिला नहीं है किसी के लिए। मैंने सबको बख्श दिया है.
सनम – यह क्या कह रहे हो तुम ! कैसी बातें कर रहे हो, इस तरह की बात न करो प्लीज !
आबान – सनम जो होना है वह तो होके रहता है। आपको याद है की एक बार मैने आप से कहा था की कुछ लोगों की ज़िंदगी मैं मोहब्बत दस्तक देती है और वो उसको अपनी ज़िंदगी मैं चाह कर भी क़ुबूल कर सकते. अपने कहा ऐसा नहीं होता. इतना बदनसीब कोई नहीं होता. लेकिन मैं वो बदनसीब हूँ. मैं मोहब्बत और पता नहीं ज़िंदगी के कितने ऐसे लम्हे क़ुबूल नहीं कर सकता. मुझे मालूम है की मैने हिना का दिल तोड़ा और फिर न चाहते हुवे आज तुम्हारा भी तोड़ दिया।
बहुत कोशिश की तुमको इग्नोर करने की. रिश्ते मैं डिस्टेंस बनाने की पर हो नहीं सका. में भी क्या करता भूल गया की यह सब मेरे नसीब मे लिखा ही नहीं।
असल मैं मुझे ब्लड कॅन्सर था. जो की काफ़ी देर बाद पता चला. डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग तो मुझे काफ़ी पहले ही मर जाना था पर मैं बड़ी सख़्त जान हूँ. मैं अपनी ज़िंदगी की इंतेहा जान गया था, तो मैं कैसे हिना को इस ज़िंदगी मे हमसफ़र बना कर उसको सारी ज़िंदगी रुलाता. मैने उसको चोट दी, लेकिन वो चोट इस चोट से कम है.
फिर आप मेरी ज़िंदगी मे आई और पता नहीं कैसे मैं अपने आप को भूल गया. भूल गया मेरी सांसें कभी भी मुझे छोड़ सकती हैं. लेकिन इन सबके लिए तुम अपने आप को सज़ा मत देना. तुम ग़लत नहीं हो. हम तीनो ग़लत नहीं हैं. ग़लत है तो नसीब. और हाँ मैं भी तुमसे मोहब्बत करने लगा हूँ. सब जान कर भी अपने को रोक नहीं पाया. मैने ज़िंदगी मैं दो दिल दुखा दिए. एक हिना का और एक तुम्हारा. हो सके तो मुझे माफ़ कर देना और मेरे बाद हिना को बता देना की मैं मजबूर था.
यह कह कर आबान चुप हो गया. सनम फिर रोने लगी. वो कभी सोच नहीं सकती थी की ज़िंदगी ऐसा मोड़ भी ला सकती है. उसको अभी भी लग रहा था की सब एक झूठ है. अभी सब सही हो जाएगा. वो रोए जा रही थी. आबान की अम्मी भी वापस आ गयी थी वो भी उसके पास बैठ गयी और रोने लगी. आबान ने अपना सर उनकी गोद मैं रख दिया।
आबान – जाने वालों को रो कर विदा नहीं करते. अम्मी मुझे अपने गले लगा लीजिये। सनम तुम मुझसे प्यार करती हो तो एक बार मेरे सीने से लग कर देख लो। दिल की धड़कन में अपना नाम सुनोगी।
अम्मी और सनम रोते हुवे आबान से लिपट गये। जाने कितनी देर तीनो सिसकते रहे. फिर कुछ देर बाद डॉक्टर्स आए और आबान को चेक किया। फिर बस इतना बोले की ही लेफ्ट अस, वी आर सॉरी .
आबान ने अपने चाहने वालों के बीच अपनी आख़िरी साँसें ले थी. एक तरफ उसकी अम्मी और दूसरी तरफ उसकी अनोकी मोहब्बत सनम जिसको वो अपना नहीं सका.
हम सब की ज़िन्दगी मैं अनेक मोड़ आते हैं लोग आते हैं. हम अपने हिसाब से सामने वाले के बारे मे राय बना लेते हैं। पर हर इंसान की ज़िन्दगी नसीब और किस्मत एक नहीं होती। किसी को कुछ मिलता है तो किसी को नहीं मिलता।
किसी की मोहब्बत परवान चढ़ती है तो किसी की मोहब्बत एक अनोखे प्यार की दास्तान बन के रह जाती है।
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