फोन कॉल | एक अनोखे प्यार की दास्तान | पार्ट 03
रात का खाना खाने के बाद, आबान अपने काम मैं मसरूफ हो गया. अबान रात मैं ही काम करता था. उसको रात का सन्नाटा अच्छा लगता था. काम करते करते एक दम से उसको सनम की याद आयी. कोई रात का ३ बज रहा था.
उसने फेसबुक चेक किया तो देखा सनम अभी ऑनलाइन थी. उसने उसको पिंग किया। २ मिनट बाद उसका रिप्लाई भी आया.
सनम – अरे आप अभी तक जाग रहे हैं ? नींद नहीं आ रही या आपको भी हमारी तरह रात मैं जागने का शौक़ है?
आबान – असल में मैं रात को काम करना पसंद करता हूँ. रात मैं सुकून रहता है और की डिस्टर्ब भी नहीं करता।
सनम – अच्छा तो आप काम कर रहे हैं. क्या काम करते हैं आप ?
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आबान – जी फॅमिली का बिज़नेस है. इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग का. और आप क्या करती हैं. कुछ बताइये अपने बारे में।
सनम – अब दोस्ती की है तो बताना भी है. चलो हम अब तुमको अपनी कहानी सुनते हैं. हमारा नाम सनम है और हम पुरे 24 इयर्स के हैं. घर मैं पापा मम्मी और हम. खानदान मैं बिलकुल इकलौती लड़की, तो सबकी प्यारी और लाड़ली हूँ मैं ! सब हमको प्यार करते हैं और हमारे लाड उठाते हैं. अभी हमने अपना फैशन डिजाइनिंग का कोर्स ख़तम किया है और हम अब अपना वर्क स्टार्ट करने वाले हैं. प्लानिंग चल रही है.
अब आप बताइये अपने बारे में कुछ.
आबान – मेरा नाम आबान है और मैं पुरे ३० साल का हो गया हूँ. पापा और अम्मी के साथ रहता हूँ. मैं भी इकलौता हूँ, कोई और नहीं है. मैं पापा के साथ काम में हेल्प करता हूँ. फॅमिली का बिज़नेस है. इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग का.
सनम – यह सब छोड़ो यह बताओ की गिर्ल्फ्रेंड्स कितनी हैं जनाब की.
आबान – एक भी नहीं.
सनम – झूठ बोलते हो तुम. ऐसा नहीं हो सकता। आज कल लड़के बिना गर्लफ्रेंड के नहीं रहते। हमको सब पता है दुनिया देखी है हमने।
आबान – अब आपको नहीं यकीन तो मैं कुछ नहीं कर सकता। जो सच था बता दिया। बस हर इंसान की ज़िंदगी सेम नहीं होती.
सनम – अरे आप फिर सीरीयस हो गये. मुझे आपकी बात पर यकीन है. इतना जल्दी बुबुरा न माना करिये जनाब ए आली. जल्दी सीरीयस हो जाते हो. गुस्सा नाक पे रखते हो तुम.
आबान – मेरा नेचर ऐसा है . प्यार हर कोई चाहता है पर किसी की किस्मत मैं होता है तो किसी की किस्मत मैं नहीं. कुछ को मिलता है तो वो उसको समझ नहीं पाते, और कुछ लोग ऐसे होते हैं जो चाह कर भी प्यार नहीं कर सकते. उनको ज़िंदगी कई मौके पर प्यार का तोहफा देती है पर वो बदकिस्मत उसको क़ुबूल नहीं कर सकते. उनकी किस्मत इतनी अच्छी नहीं होती.
सनम – अरे ऐसा भी नहीं होता और किसी की किस्मत इतनी बेकार नहीं होती.
आबान – होता है ऐसा. मैने करीब से महसूस किया है. खैर छोड़ो यह बोरिंग टॉपिक.
आबान ने सफाई से टॉपिक को चेंज किया और फिर वो दोनो एक दूसरे से इधर उधर की बात करने लगे. कोई सुबह के जब फजिर की अज़ान की आवाज़ से उनको पता चला की वक़्त क्या हुवा है.
आबान – चलिए मैं अब नमाज़ पढ़ने जा रहा हूँ. फिर थोड़ा रेस्ट करके ऑफिस जाऊंगा। फिर मिलते हैं जल्दी ही. इन्शाह अल्लाह।
सनम – जी बिलकुल हम आपका इंतेज़्ज़र करेंगे। अल्लाह हाफिज।
यह सिलसिला चल निकला. रोज़ दोनो फोन पर या वेब कॉल पर खूब बात करते। सनम उसको खूब हँसा हँसा के लोट पॉट कर देती। उसके पास किस्से बहुत रहते थे. अउ सब एक से बढ़ कर एक. आबान अब खुश रहने लग था . उसके चेहरे पर ताज़गी रहने लगी. ज़िन्दगी मैं पहली बार उसको एक अलग तरह की खुसी मिल रही थी. ऐसा नहीं था की वह पहले खुश नहीं था. पर यह कुछ अलग एहसास था.
आबान को खुश देख कर उसकी अम्मी बहुत खुश थी. एक सुबह वह उससे बोली हम आप को खुश देख कर काफ़ी अछा महसूस कर रहे हैं. ज़माने हुए जो आप के चेहरे पर यह ताज़गी आए. बेटा हम आपसे रीज़न नहीं पूछेंगे. बस बेटा हम चाहते हैं की आप हमेशा ऐसे ही रहे.
आबान – अम्मी, मैं भी यही चाहता हूँ और यह भी चाहता हूँ की आप भी परेशान न हुवा कीजिये। यह सब किस्मत है और कुछ नहीं। हम सब किस्मत के आगे कुछ नहीं।
आबान की बात मैं हल्का सा दर्द था पर एक सुकून भी था. उसकी अम्मी भी अब सबर कर चुकी थी. जानती थी की सब किस्मत का खेल है. जिसके आगे कुछ ज़ोर नहीं चलता किसी का.
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