फोन कॉल | एक अनोखे प्यार की दास्तान | पार्ट 04
आबान ऑफिस मैं था की फ़ोन ने वाइब्रेट करना शुरू किया। देखा तो सनम का कॉल था. उसने कॉल रिसीव किया।
सनम – मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ. क्या तुम हमसे मिलोगे ?
आबान – क्या बात है. आज एक दम से मिलना है. कोई ख़ास बात ? ऐसा क्या हुवा जो हमसे मिलने के लिए इतनी बेताबी ?
सनम – बस यही प्रॉब्लम हैं लड़को का. अपने आप ही उड़ने लगते हैं. बात यह है की आज मम्मी ने घर में खाना हमारी पसंद का नहीं बनाया है. इस लिए मेरी पसंद का खाना तुम मुझे खिलओयगे. बोलो हाँ या ना , वरना मैं तुम्हारा खून पी जाउंगीबिना डकार लिए. मुझे भूक लगी है.
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आबान – चुड़ैल आंटी आपका फरमान सिर – आँखों पर. कहाँ आना होगा मुझे यह भी बता दो.
सनम – सिटी माल का फुड कोर्ट अच्छा है. वही आजओ. साथ मैं चॉक्लेट का बड़ा डिब्बा, एक फूलों का गुलदस्ता और कोई अपनी पसंद का गिफ्ट लेते आना .
आबान – यह सब ? तुमको तो लंच करना है न ? फिर यह सब क्या करोगी?
सनम – पहली बार किसी लड़की से मिलने जा रहे हो. यह सब तो करना पड़ता है, तुम्हे कुछ नहीं आता. सब मुझे बताना पड़ता है. अब कोई सवाल नहीं 2:00 बजे मिलो.
आबान मुस्कुरा उठा. अजीब लड़की है. इतना हक़ जमा रही है. आबान घर आया और फ्रेश हुआ. फिर रेडी हो के उसने शॉपिंग की. फिर 2:00 बजे वो फुड कोर्ट मैं बैठा टेबल पर इंतेज़ार कर रहा था. 2:30 बजे सनम ने फ़ूड कोर्ट पहुंची तो देखा आबान उसका इंतेज़्ज़र कर रहा था.
सनम को देख कर आबान खुश हुवा और उसको देखता रह गया. वो जितनी खूबसूरत वेब चैट और फ़ोटो मैं लगती थी उससे में लगती थी उससे ज़यादा खूसूरत थी. आबान को लगा की जैसे वक़्त रुक सा और वह किसी जन्नत की कोई हूर के सामने बैठा हो.
सनम मुस्कुरा के बोली – ऐसे क्या घूर रहे हो मुझे। बोला था न की हम हेड चुड़ैल हैं , बेहद ख़तरनाक वाली। अब चलो और दिखाओ की क्या लाए हो तुम मेरे लिए. जल्दी से वरना जनाब की खैर नहीं।
आबान ने डरने वाले अंदाज़ मे कहा – अरे मुझे मरना थोड़े ही है. यह लीजिये आपकी खिदमत में क्या क्या लाया हूँ।
आबान ने उसको उसके गिफ्ट्स दिखने लगा. सनम ने चॉकलते बॉक्स देखा और सफ़ेद और गुलाबी रोज़स का खूबसूरत गुलदस्ता देख बहुत खुश हुई . फिर उसने गिफ्ट खोला जिसमे एक खूबसूरत सा ड्रेस था.
सनम – बहुत खूब! जनाब की पसंद काफी अच्छी है. मुझे आपका अंदाज़ पसंद आया. आई होप की आप आगे भी हमको ऐसे ही गिफ्ट देते रहेंगे। क्यों देंगे ना ?
आबान – जी ज़रूर ! आपको सब अच्छा लगा तो मुझे भी खुशी हुई. अब आप क्या खाना पसंद करेंगी।
अरे बड़ी भूक लगी है यार. इतना बोल कर सनम ने वेटर को बुलाया और खाने का ऑर्डर दिया.
खाने के बाद, आबान और सनम कुछ देर वहीं बैठे फिर कुछ देर मॉल में घूमे। शाम होने लगी और मौसम भी काफी सुहाना होने लगा.
घड़ी देखते हुवे आबान ने कहा की अब हमको चलना चाहिए। शाम होने वाली है और मौसम भी बदल रहा है. शायद बारिश हो सकती है. आप अगर इजाज़त दीजिये तो आपको घर छोड़ देता हूँ.
सनम – हाँ तो और कौन छोड़ेगा। हमने ड्राइवर बाबा को घर जाने का बोल दिया था. अब आप को ही मुझे घर छोड़ना है. यह समान उठाइए और चलिए. आबान ने कार में समान डाला और दोनो कार मैं बैठ गये. कार अभी तोड़ी दूर गयी थी की सनम ने कार रोकने को कहा. आबान ने कार साइड मैं लगा दी. शाम हो रही थी और हल्की बारिश शुरू हो गयी थी.
सनम – आबान हमको बताइये। हम दोनों अभी कुछ दिन पहले एक दूसरे से अनजान थे. फिर हम दोनों मिले और आज दूसरे को जानते हैं. पर हमारा यह रिश्ता है क्या। कोई कमिटमेंट तो है नहीं। फिर भी आपसे बात करने से अच्छा लगता है. क्यों पता नहीं , पर यह एक अलग एहसास है. तुमको भी लगता है क्या ?
आबान बोला – मुझे भी आपके साथ बात करना पसंद है. यह रिश्ता क्या है, अभी मैं कुछ नहीं कह सकता पर, एक बात तो यक़ीन से कह सकता हूँ की है, बहुत खूबसूरत पाक है.
सनम मुस्कुरा दी. आबान ने कार स्टार्ट की और आगे बढ़ा दी. बारिश तेज़ होने लगी थी और बौछारों को चीरते हुए कार आगे गयी.
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