तेरी उल्फत में | मोहब्बत और दोस्ती से भरी एक दास्तान ! | पार्ट 03
वो लोग कुछ ही दूर आगे चले थे कि रास्ते में ज़ैन अपने कुछ साथियो के साथ वहां आकर खड़ा हो जाता है। और अरसलान का रास्ता रोक लेता है। उसके साथ वहां पर कशिश भी थी। न्यूटन और अरसलान आगे बढ़ने लगे तो उतने में ज़ैन बोला, “क्या मिया कहां चले जा रहे हो? ज़रा हमसे भी तो मिलते जाओ। सुबह तो आप बड़ी ऊंची आवाज में बात कर रहे थे, अब क्या हुआ?”
अरसलान बोला “सुबह मैंने गलत फ़हमी दूर कर दी थी बस। और मैं बातों को तूल नहीं देना चाहता। इसलिए आप सब हमारा रास्ता छोड़िए और हमें अपने रास्ते जाने दीजिए।”
कशिश “गलत फहमी तो हम तुम्हारी दूर करेंगे। सुबह बड़े होशियार बन रहे थे न क्लास में तुम। किसने तुमसे कहा था कि तुम टीचर के सवाल का जवाब दो। तुम्हारे जवाब देने से मेरी कितनी बेइज्जती हो गई है।”
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अरसलान बोला “मोहतर्मा मुझे जो पता होगा वह मैं बोलूंगा। इसके लिए मुझे किसी से इजाज़त लेने की कोई ज़रूरत नहीं है और दूसरी बात मैं यहां पर पढ़ने के लिए आया हूं। वह तो करूंगा। अब इससे आप की इंसल्ट हो तो मैं इसमें कुछ भी नहीं कर सकता।”
इसपर न्यूटन बोला “देखो ज़ैन अरसलान यहां पर किसी से लड़ने झगड़ने के लिए नहीं, बल्की पढ़ाई करने के लिए आया है। और तुम बिला वजह बात का बतंगड़ बना रहे हो। जो तुम कर रहे हो वह बिल्कुल ठीक नहीं है।”
इसपर कशिश बोली “ओह आते ही चमचे भी बना लिए तुमने। हां छोटे लोगों को छोटे लोग जल्दी मिल जाते हैं। और फिर ग्रुप भी बना लेते हैं। क्यों ज़ैन! सही कहा ना मैंने।”
इसपर ज़ैन और उसके साथी सब मिलकर ज़ोर-ज़ोर से हसने लगे। फ़िर ज़ैन बोला “क्यूं बे साहिल, तेरे बहुत चरबी चढ़ गई है। लगता है तेरी सारी चर्बी उतारनी पड़ेगी। अभी बताता हूं मैं तुझे। इस नमूने से पहले हम तेरे को ही सीधा करते हैं।”
ज़ैन ने उसे मारने के लिए अपना हाथ साहिल की तरफ उठाया, पर एक दसरे हाथ ने उसे रोक लिया और अपनी गिरफ्त में ले कर मोड़ दिया। ज़ैन ने हाथ के मलिक को देखा, तो इतने में गुर्रा कर बोला, “तेरी ये हिम्मत…।”
ज़ैन के साथी भी उसी तरफ बढ़े, तो अरसलान गुर्रा कर बोला, “अगर किसी ने मुझे या साहिल को हाथ भी लगाया, तो इस कार्टून का हाथ ऐसा तोड़ूंगा कि दुनिया का कोई भी डॉक्टर इसका हाथ नहीं जोड़ पाएगा। और तुम में से जो भी मुझे पहले हाथ लगाएगा, उसका तो मैं पूरा जियोग्राफिया ही बदल कर रख दूंगा। चुप चाप यहां से भागो तुम लोग। वरना इसका हाथ आज शहीद हुआ।”
ज़ैन दर्द से तड़पने लगा। अरसलान के तेवर देख कर उसके दोस्तों की भी हिम्मत जवाब दे गई।
वो सब अरसलान के गुस्से को देखकर डर कर वहां से भाग लिए। कशिश बस वहां पर खड़ी रह गई। अरसलान ने ज़ैन को एक तरफ़ किया। फिर साहिल से कहा “चलो साहिल, ये बड़े लोग हम लोगों की तरह खाने में अनाज, सब्जी और गोश्त नहीं खाते, ये ब्रेड बटर के बने हुए लोग हैं, और सिर्फ झुंड में ही रहते हैं। अकेले इनके बस का कुछ भी नहीं होता।
फिर वो कशिश से मुखातिब हुआ “मोहतर्मा बिना वजह चीजो को तूल न दीजिए। मैं यहां लड़ने के लिए नहीं आया हूं। और हां एक और बात इंसान छोटा या बड़ा अपने कर्म से होता है। फाइनेंशियल स्टेटस से नहीं। आपका कार्टून नीचे पड़ा काफी देर से ज़मीन सूंघ रहा है। देखिये उसे आप।”
इतना कह कर वो दोनो, हॉस्टल की तरफ चल पड़े। कशिश उसे ज़हर बुझी निगाहों से घूरती रही।
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